हर बार न बारिश बरसेगी
हर बार न मेंढक टर्राएगा
हर बार न कोई भीगेगा
हर बार न मंच से बड़बड़ाएगा
हर बार न तिकड़म पनपेगी
हर बार न मतों का अपमान होगा
इस बार इलेक्शन हो जाने दो
जनादेश की ताकत दिखलाएंगे
बीती भूल न दोहराएंगे
महाराष्ट्र में कमल खिलाएंगे
गर काले बादल फिर मंडराए तो क्या
गर होगी फिर बारिश तो क्या
इस बार न मेंढक टर्राएगा
इस बार न मेंढक टर्राएगा
*© रविन्द्र गुड़ी*
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